रिबॉन्डिंग को समझ लेते हैं स्ट्रेटनिंग…दोनों में कितना है फर्क, इन 6 बातों से समझें

Difference Between Rebonding And Straightening: सिल्की, स्मूथ और मैनेजेबल बाल को अमूमन महिलाओं को चाहिए होते हैं. इसके लिए महिलाएं पार्लर में जाकर घंटे समय बिताती हैं और पैसा भी खूब खर्च करती हैं. बालों को सीधा करने के लिए मार्केट में कई तरह के ट्रीटमेंट अवेलेबल हैं. जिसमें सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं रिबॉन्डिंग और स्ट्रेटनिंग. ये दोनों ही ट्रीटमेंट बालों को सीधा करते हैं और उन्हें सिल्की, स्मूद और मैनेजेबल बनाते हैं. हालांकि, केमिकल और हीट की वजह से ये बालों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.

जैसा की हमने बताया कि दोनों ही तरीके बालों की स्ट्रेट दिखाने में मदद करते हैं. ऐसे में कुछ महिलाएं अक्सर रिबॉन्डिंग और स्ट्रेटनिंग को एक ही समझ लेती हैं और अपने बालों को लिए सही चुनाव नहीं कर पाती. अगर आप भी रिबॉन्डिंग और स्ट्रेटनिंग को एक ही समझती हैं तो आपको इन दोनों के बीच अंतर जानने की जरूरत है. चलिए इस आर्टिकल में कुछ प्वाइंट्स के जरिए बताते हैं रिबॉन्डिंग और स्ट्रेटनिंग के बीच का डिफ्रेंस .

क्या होती है हेयर स्ट्रेटनिंग ?

स्ट्रेटनिंग हेयर स्ट्रेटन और कुछ प्रोडक्ट्स की मदद सी की जाती है, ये बालों को सीधा, मैनेजेबल और सिल्की दिखाने में मदद करता है. इसका रिजल्ट 6 से 7 महीने तक ही होता है. इसमें कई तरह की इक्विपमेंट का यूज किया जाता है. जैसे हॉट कॉम्ब, प्लेट हेयर आयरन, लार्ज हेयर रोलर, स्ट्रेटनिंग ब्रशेज, शैंपू और कंडीशन. इसमें भी केमिकल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

रिबॉन्डिंग क्या है ?

रिबॉन्डिंग की बात करें तो, इस ट्रीटमेंट में भी केमिकल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, ये लंबे समय तक आपको रिजल्ट देता है. हेयर स्ट्रेटनिंग का असर जहां 6 से 7 महीने तक का होता है. वहीं, हेयर रिबॉन्डिंग 1 साल तक चल जाता है. इस ट्रीटमेंट से भी बाल स्ट्रेट, सिल्की और मैनेजबल बनते हैं. इसमें ऐसे प्रोडक्ट्स का यूज किया जाता है, जो बालों को नेचुरल बोन्ड को तोड़ते हैं और उन्हें सीधा बनाते हैं. इस करने में समय भी ज्यादा लगता है.

रिबॉन्डिंग और स्ट्रेटनिंग में क्या है फर्क?

हेयर लुक : रिबॉन्डिंग ट्रीटमेंट कराने से बाल काफी ज्यादा सीधे हो जाते है, जिससे वो आर्टिफिशियल लगने लगते हैं. वहीं, स्ट्रेटनिंग कराने से बाल बहुत ज्यादा सीधे नहीं होते हैं, जिससे वो नेचुरल लगते हैं और ज्यादा मैनेजबेल होते हैं.

देखभाल : रिबॉन्डिंग कराए हुए बाल मौसम के हिसाब से जल्दी खराब नहीं होते हैं. इन्हें रोजाना देखभाल की भी जरूरत नहीं होती है. लेकिन वहीं, स्ट्रेटनिंग किए हुए बाल बारिश, चिपचिपाहत और गर्मी की वजह से खराब हो जाते हैं. ऐसे में इन्हें रेगुलर केयर की बहुत जरूरत होती है.

ट्रीटमेंट का तरीकाः रिबॉन्डिंग करने में केमिकल प्रोडक्ट्स का ज्यादा यूज किया जाता है, जिससे बालों के नेचुरल बोंड टूटते हैं और एक स्ट्रेट लुक मिलता है. वहीं, स्ट्रेटनिंग में केमिकल प्रोडक्ट्स के साथ ही थरमल ट्रीटमेंट का भी यूज किया जाता है.

बालों पर इफेक्ट: रिबॉन्डिंग बालों के टेक्सचर को पूरी तरह से बदल देता है, जिससे बालों के डैमेज होने का खतरा ज्यादा रहता है. वहीं, हेयर स्ट्रेटनिंग करवाने से बालों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है, जिससे बाल कम टूटते हैं और कम डैमेज भी होते हैं.

कितने समय रहता है असर: रिबॉन्डिंग का असर लंबे समय तक रहता है. इसका असर 1 साल तक रहता है. वहीं, हेयर स्ट्रेटनिंग का असर सिर्फ 7 से 8 महीने तक ही होता है. ऐसे में इसे आपको बार-बार करवाने की जरूरत पड़ सकती है.

स्ट्रेटनिंग परसेंटेज: हेयर स्ट्रेटनिंग करने से बाल सिर्फ 80 से 90 परसेंट तक ही सीधे होते हैं. वहीं, हेयर रिबॉन्डिंग कराने से बाल 100 परसेंट सीधे हो जाते हैं. साथ ही स्मूद और शाइनी भी लगते हैं.

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